ये तो आप सभी जानते हैं, कि शून्य की खोज आर्यभट्ट ने की थी।
परंतु, इसी बात से बहुत से लोगों के मन में प्रश्न उठा, कि यदि खोज कलयुग में हुई, तो फिर प्राचीन युगों में जैसे कि सतयुग, त्रेतायुग एवं द्वापरयुग में गणना किस प्रकार होती रही होगी।
जैसे कि रावण के 10 शीश थे, या फिर कौरव 100 थे इसके अलावा श्री कृष्ण की 16000 पत्नियां और बाणासुर के सहस्त्र हाथ का पता कैसे चला?
चलिए तो मैं आपको बताता हूँ, रामायण और महाभारत भारत के प्राचीन महाकाव्य हैं और उस समय संस्कृत भाषा का प्रयोग होता था इन विषयों को लिखे हेतु।
जिस लिपि का प्रयोग उस समय होता था ये तो संभवतः ही कोई पढ़ पाए लेकिन कुछ और तथ्य हैं जिनके आधार पर ये ज्ञात हो सकता है।
उत्तर बहुत सी सामान्य है, लेकिन उससे पूर्व मैं आपको कुछ और बताने का प्रयत्न करता हूँ, जिससे की आप स्वयं ही उत्तर जान जायेंगे |
ब्राह्मी लिपि:-
ये जो चित्र आप देख रहे हैं, ये ब्राह्मी लिपि है, और ये चित्र दर्शाता है कि कैसे संख्याओं का वर्णन किया जाता है इस लिपि में |
चलिए मान लीजिये आप ब्राह्मी लिपि बारे में नहीं जानते कोई बात नहीं, आप इस तस्वीर को देखिये |